परिचय :
जब पदार्थ के गुणों में परिवर्तन होता हैं तो नए पदार्थों का निर्माण होता हैं यह परिवर्तन दो प्रकार का हो सकता हैं|
1. भौतिक परिवर्तन
2. रासायनिक परिवर्तन
जब पदार्थ के भौतिक गुणों (तापमान, रंग इत्यादि )में परिवर्तन होता हैं तो भौतिक परिवर्तन कहलाता हैं|
जब पदार्थ के रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता हैं तो वह परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन कहलाता हैं|
रासायनिकअभिक्रिया :
पदार्थ जब आपस में क्रिया करते हैं तो नए पदार्थों का निर्माण होता हैं जिससे पदार्थ के मूल गुण व संघटक बदल जाते हैं | और नए गुणों के साथ नए पदार्थ का निर्माण होता हैं |
रासायनिक अभिक्रिया को दो भागों में विभाजित किया गया हैं :
1. क्रियाकारक ( अभिकारक)
2. क्रियाफल ( उत्पाद)
रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले कारक (पदार्थ) क्रियाकारक कहलाते हैं|
रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त पदार्थ क्रियाफल कहलाते हैं|
उदाहरण : 2Mg + O2 à 2MgO
क्रियाकारक क्रियाफल
यहाँ MgO का निर्माण Mg और O2 की क्रिया के फलस्वरूप हुआ हैं जिसमें पदार्थ Mg के रासायनिक व भौतिक गुणों में परिवर्तन हुआ हैं|
रासायनिकसमीकरण:
पदार्थ में होने वाले परिवर्तन को रासायनिक समीकरण के द्वारा व्यक्त किया जाता हैं|
अर्थात्
रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले क्रियाकारक व प्राप्त उत्पाद को संकेतों व सूत्रों के द्वारा निरुपित करना रासायनिक समीकरण कहलाता हैं|
रासायनिक अभिक्रिया को संतुलित करना
N2 + H2 à NH3
Step: I सर्वप्रथम अभिकारक एवं उत्पादो के प्रत्येक सूत्र को चौकोर बॉक्स में बंद करते हैं|
N2 | + | H2 | à | NH3 |
Step: II रासायनिक सूत्रों में उपस्थित परमाणुओं की सूची तैयार करते हैं|
तत्व | अभिकारक में परमाणुओं की संख्या | उत्पाद में परमाणुओं की संख्या |
N | 2 | 1 |
H | 2 | 3 |
Step :III समीकरण मे से सबसे अधिक परमाणु वाले यौगिक को पहले संतुलित करते हैं अतः NH3में उपस्थित हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या को दोनों तरफ संतुलित करते हैं |
तत्व | अभिकारक में परमाणुओं की संख्या | उत्पाद में परमाणुओं की संख्या |
N | 2 | 1 |
H | 2 × 3 | 3× 2 |
N2 + 3H2 → 2NH3
Step : IV समीकरण में बचे शेष परमाणुओं को संतुलित करते हैं| नाइट्रोजन परमाणुओं की संख्या दोनों तरफ समान हैं | अतः यह अभिक्रिया संतुलित हैं |
अर्थात्
संतुलित रासायनिक समीकरण में दोनों दिशाओं के यौगिकों में उपस्थित परमाणुओं की संख्या व द्रव्यमान समान होनी चाहिए |
रासायनिकअभिक्रिया की विशेषताएं :
1. तापमान में परिवर्तन होना
2. रंग में परिवर्तन होना
3. अवक्षेप का प्राप्त होना
4. गैस का निकलना इत्यादि
रासायनिकअभिक्रिया के प्रकार:
1. संयोजन अभिक्रिया
2. वियोजन अभिक्रिया
3. विस्थापन अभिक्रिया
4. द्विविस्थापन अभिक्रिया
5. उपचयन अपचयन अभिक्रिया
1. संयोजन अभिक्रिया (योगात्मकअभिक्रिया):
ऐसी अभिक्रिया जिसमे दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक पदार्थ का निर्माण करते हैं|संयोजन अभिक्रिया कहलाती हैं |
अर्थात
जब दो या दो से अधिक क्रियाकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं तो उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं|
जैसे : A + B à AB
दो पदार्थ एक पदार्थ
उदाहरण:
बुझा हुआ चुना प्राप्त करना
CaO + H2O à Ca(OH)2 (aq)
बिना बुझा हुआ चुना बुझा हुआ चुना
नोट: Ca(OH)2 बुझे हुए चुने का उपयोग दीवारों पर सफेदी करने में किया जाता हैं | जिसने कैल्सियम हाइड्रोऑक्साइड वायु में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड से धीमी गति से क्रिया करके कैल्सियम कार्बोनेट का निर्माण करता हैं | जिसके कारण दीवार चमकने लगती हैं |
संगमरमर का रासायनिक सूत्र CaCO3 (कैल्सियम कार्बोनेट )हैं
कोयले का दहन
C (s) + O2 (g) à CO2
जल का निर्माण
2H2(g) + O2(g) à H2O (l)
नोट: जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का उत्सर्जन होता हैं उन्हें ‘ऊष्माक्षेपी’ अभिक्रिया कहते हैं|
उदाहरण :
प्राकृतिक गैस का दहन:
CH4 + 2O2 à CO2 + 2H2O + ऊर्जा
श्वसन
C6H12O6 + 6O2 à 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा
श्वसन एक प्रकार की ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया हैं| जिसके उपरान्त ऊष्मा का उत्सर्जन होता हैं |
वनस्पति शाक सब्जी इत्यादि का विघटित होकर कम्पोस्ट का निर्माण होना भी एक प्रकार की ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया हैं |
2. वियोजन अभिक्रिया (अपघटन अभिक्रिया):
ऐसी अभिक्रिया जिसमे एकल पदार्थ टूटकर दो या दो से अधिक नए पदार्थों का निर्माण करता हैं वियोजन अभिक्रिया कहलाती हैं |
जैसे : AB à A + B
उदाहरण :
फेरस सल्फेट से फेरिक ऑक्साइड का निर्माण
2FeSO4 Fe2O3 + SO2 + SO3
फेरस सल्फेट फेरिक ऑक्साइड
फेरस सल्फेट से फेरिक ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2) व सल्फर ट्राई ऑक्साइड (SO3) का निर्माण होता हैं|
चुने को पत्थर को गर्म करने पर कैल्सियम ऑक्साइड व कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण होता हैं
CaCO3 CaO + CO2
चुना पत्थर बुझा हुआ चुना
कैल्सियम ऑक्साइड को चुना या बुझा हुआ चुना कहते हैं | इसका उपयोग सीमेंट निर्माण में किया जाता हैं |
जब किसी पदार्थ का वियोजन ऊष्मा के द्वारा किया जाता हैं तो इस प्रकार की अभिक्रिया उष्मीय वियोजन अभिक्रिया कहलाती हैं |
2Pb(NO3)2 2Pb + 4NO2 + O2
NO2 एक भूरे रंग का धुँआ हैं जो लेड नाइट्रेट के वियोजन के फलस्वरूप प्राप्त होता हैं|
जल का विद्युत अपघटन : जब जल में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती हैं तो जल का अणु ऑक्सिजन और हाइड्रोजन में विघटित हो जाता हैं जो एनोड पर ऑक्सिजन व कैथोड पर हाइड्रोजन प्राप्त होता हैं |
AgCl से Ag प्राप्त करना ( चांदी की प्राप्ति)
2AgCl 2Ag + Cl2
सिल्वर क्लोराइड को सूर्य के प्रकाश में क्रिया कराने पर सिल्वर की प्राप्ति होती हैं |
इसी प्रकार सिल्वर ब्रोमाइड से भी सिल्वर प्राप्त किया जा सकता हैं |
2AgBr 2Ag + Br2
सिल्वर ब्रोमाइड का उपयोग फोटोग्राफी फिल्म में किया जाता हैं |
नोट: वियोजन अभिक्रिया में पदार्थ को टूटने या तोड़ने के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं |
जब किसी अभिक्रिया में ऊर्जा अवशोषित होती हैं तो वह अभिक्रिया ऊष्मा शोषी अभिक्रिया कहलाती हैं|
3. विस्थापन अभिक्रिया:
जब एक अधिक क्रियाशील पदार्थ कम क्रियाशील पदार्थ को उसके स्थान से विस्थापित करें तो इस प्रकार संपन्न होने वाली अभिक्रिया विस्थापन अभिक्रिया कहलाती हैं|
जैसे : AB + C AC + B
उदाहरण : Fe + CuSO4 FeSO4 + Cu
कॉपर सल्फेट के विलियम में Fe (लोहा की किल) डालने पर Fe, Cu को विस्थापित कर देता हैं जिससे नया पदार्थ आयरन सल्फेट का निर्माण होता हैं जिससे लोहे की किल का रंग भूरा व कॉपर सल्फेट नीले रंग से मलीन रंग का हो जाता हैं|
इसी प्रकार जिंक व लेड की अभिक्रिया क्रमशः कॉपर सल्फेट और कॉपर क्लोराइड से कराकर कॉपर की प्राप्ति की जा सकती हैं|
Zn + CuSO4 ZnSO4 + Cu
कॉपर सल्फेट जिंक सल्फेट
Pb + CuCl2 PbCl2 + Cu
कॉपर क्लोराइड लेड क्लोराइड
4. द्विविस्थापन अभिक्रिया:
वह अभिक्रिया जिसमें अभिकारको के मध्य आयनों का आदान–प्रदान होता हैं उसे द्विविस्थापन अभिक्रिया करते हैं|
जैसे : AB + CD AC + BD
उदाहरण:
Na2SO4 + BaCl2 BaSO4 + 2NaCl
सोडियम बेरियम बेरियम सोडियम
सल्फेट क्लोराइड सल्फेट क्लोराइड
BaSO4 एक अवक्षेप हैं| जिसमें BaSO4एक श्वेत रंग का अवक्षेप हैं |
जिस अभिक्रिया में अवक्षेप प्राप्त होता हैं उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते हैं|
5. उपचयन एवं अपचयन ( रेडोक्स अभिक्रिया) :
उपचयन अभिक्रिया : जब किसी अभिक्रिया में अभिक्रिया के दोहरन ऑक्सिजन की वृद्धि होती हैं तथा हाइड्रोजन की कमी होती हैं तो उसे उपचयन अभिक्रिया कहलाती हैं|
2Cu + O2 2CuO
1. ऑक्सिजन जुड़ना
2. विद्युत ऋणी तत्व का जुड़ना
3. हाइड्रोजन का निकलना
4. विद्युत धनी तत्व का निकलना
उपचयन कहलाता हैं|
1. अपचयन अभिक्रिया :
जब किसी अभिक्रिया में अभिक्रिया के दोहरन हाइड्रोजन की वृद्धि होती हैं तथा ऑक्सिजन की कमी होती हैं तो उसे अपचयन अभिक्रिया कहलाती हैं|
CuO + H2 Cu + H2O
1. हाइड्रोजन का जुड़ना
2. विद्युत धनी तत्व का जुड़ना
3. ऑक्सिजन निकलना
4. विद्युत ऋणी तत्व का निकलना
अपचयन कहलाता हैं|
जब किसी अभिक्रिया में ऑक्सिजन की कमी हो तथा हाइड्रोजन की वृद्धि हो या ऑक्सिजन की वृद्धि व हाइड्रोजन की कमी हो तो व अभिक्रिया उपचयन-अपचयन अभिक्रिया कहलाती हैं | अर्थात्
जब एक अभिकारक का उपचयन व दुसरे का अपचयन होता हैं तो वह अभिक्रिया उपचयन अपचयन या रेडोक्स अभिक्रिया कहलाती हैं|
अपचयन |
CuO + H2 Cu + H2O |
Heat |
उपचयन |
अन्य उदाहरण :
ZnO + C Zn + CO
MnO2 + 4HCl MnCl2 + 2H2O + Cl2
संक्षारण :
जब कोई धातु अम्ल, आद्रर्ता आदि के संपर्क में आती हैं तो वह संक्षारित होने लगती हैं अर्थात् इन वस्तुओं की ऊपरी परत का रंग व रासायनिक गुनीं में परिवर्तन होने लगता हैं जैसे की लोहे पर लाल-भूरे रंग की परत (जंग लगना) चांदी के ऊपर कलि परत का आना व ताँबे पर हरी पर्त का निर्माण होना इत्यादि सभी क्रियाएं संक्षारण कहलाती हैं|
संक्षारण धातुओं को क्षतिग्रस्त करती हैं तथा लोहे का संक्षारण सबसे गंभीर समस्या हैं|
विकृतगंधिता :
जब वसायुक्त अथवा तैलीय खाद्य सामग्री लम्बे समय तक रखी रहती हैं तो वे उपचयित होने लगती हैं | जिससे उनके स्वाद व गंध में परिवर्तन आता हैं|
नोट :
→ इनको खाद्य सामग्री को उपचयित होने से रोकने के लिए प्रति ऑक्सीकारक मिलाये जाते हैं|
→ वायुरोधी बर्तनों का उपयोग कर उपचयन की क्रिया को धीमा किया जा सकता हैं|
→ चिप्स बनाने वाले चिप्स की थैली में ऑक्सिजन के स्थान पर नाइट्रोजन का उपयोग करते हैं जो कम क्रियाशील या कम सक्रीय गैस हैं|