जीव जनन कैसे करते हैं
जनन की आवश्यकता
किसी भी जीव को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए जनन कि आवश्यकता होती हैं | किसी जीव कि जाति के अस्तित्व का पत्ता उस जीव कि संख्या से लगाया जा सकता हैं |
यदि सभी जीव जनन करना बंद कर दे तो धरती का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा | अतः जनन सभी जीवो के लिए अति आवश्यक हैं |
क्या सजीव अपने समान जीव प्रतिकृतिका सृजन करते हैं
कोशिकाओं के केन्द्रक में पाए जाने वाले डीएनए में आनुवांशिक गुणसूत्र होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाये जाते हैं अर्थात जनक कोशिकाओं से प्राप्त नई कोशिकाओं में सभी गुणों कि समानता होती हैं | क्योकि डीएनए प्रोटीन संश्लेष्ण के द्वारा सुचना एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता हैं | तथा यह क्रिया जनन के रुप्प में संभव होती हैं |
डीएनए की प्रतिकृति बनना
इसके लिए कोशिका रासायनिक क्रिया करती हैं जिससे डीएनए कि दो प्रतिकृति बनती हैं तथा उनका एक दुसरे से अलग होना आवश्यक होता हैं परन्तु डीएनए कि एक प्रति जनन कोशिका में ही रह जाती हैं डीएनए कि प्रतिकृति बनने के साथ ही कोशिका संरचना का निर्माण होने लगता हैं तथा बाद जब कोशिका में डीएनए विलगित हो जाता हैं तो प्रतिकृति मूल(जनन) कोशिका से अलग हो जाती हैं इस प्रकार एक कोशिका से दो कोशिकाओं का निर्माण होता हैं |
अर्द्धसंरक्षि प्रक्रिया
किसी जीव से बनने वाली अन्य कोशिका भी मूल जीव के समान ही होती हैं तथा इसके सभी आनुवांशिक गुण धर्म भी मूल कोशिका के समान होते हैं अर्थात् नई कोशिका में अपने जनक कोशिका के गुण निहित होते हैं तहत यह क्रिया अर्द्धसंरक्षि प्रक्रिया कहलाती हैं |
विभिन्नता का महत्तव
अपनी जीव क्षमता का उपयोग कर जीवों कि समष्टि परितंत्र में स्थान ग्रहण करती हैं मूलकोशिका के विभाजन के दौरान डीएनए प्रतिकृति का अविरोध जीव कि संरचना में महत्त्व पूर्ण कार्य करता हैं | जीव में कुछ ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं जो जीव के लिए लाभदायक होते हैं इन परिवर्तन के कारण जीवों म उच्च रोगरोधी व प्रतिरोध क्षमता का विकास होता हैं विभिन्नताएं जीवों कि उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं |